
नवरात्रि में कलश स्थापना (Navratri Mein Kalash Ki Sthapna) का अपना ही महत्व है। इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। जहां प्रतिमा की स्थापना होती है वहां तो कलश की स्थापना अनिवार्य मानी जाती है वरना प्रतिमा का अनादर माना जाता है। पर नवरात्रि (Navratri) में कई घरों में भी कलश की स्थापना होती है। कलश की स्थापना (Navratri Mein Mantra ke Sath Kalash Ki Sthapna Kaise Karen) नियमबद्ध तरीके से करने के लिए विद्वान ब्राह्मण या जानकार की आवश्यकता है, इनके बिना कलश स्थापना पूर्ण नहीं मानी जाती है।
पर कई बार लोग कुछ विवशतावश पुरोहित को बुलाने में असमर्थ होते है। वैसी विषम परिस्थिति में यदि आपको कलश की स्थापना करके माता की पूजन करने की इच्छा हो तो क्या क्या जाएँ। ऐसी परिस्थिति के लिये यहां हम उनका समाधान लाएं है। यहां मंत्र के साथ संक्षिप्त कलश स्थापना विधि दी गई है। इसके आधार पर आप नवरात्रि में स्वयं से ही घर में कलश की स्थापना (Ghar Mein Kalash Ki Sthapana) कर सकतें है।
नवरात्रि में कलश स्थापना की संक्षिप्त विधि और मंत्र (Ashwin Kalash Sthapna ke Mantra aur Vidhi)
कलश स्थापित करने का स्थान-
कलश को उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। जहाँ कलश स्थापित करना है, वहां पहले से गंगाजल (Gangajal) छिड़क देना अच्छा माना जाता है। इसके लिए फर्श पर या फिर किसी पात्र में स्वच्छ मिट्टी बिछा देना चाहिए। कलश पर स्वास्तिक चिह्न (Swastik Chinh) बनाकर सिंदूर का टीका (Sindur Ka Tika) लगाना चाहिए। कलश के चारो ओर मौली (Mauli) लपेट देना चाहिए।
जिस स्थान पर कलश स्थापित करना है उस स्थान के दाएं हाथ से स्पर्श करते हुए यह मंत्र बोलना चाहिए -
ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं ।
पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः ।।
कलश के नीचे धान बिछाने का मंत्र-
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा ।
दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि ।।
कलश स्थापित करने का मंत्र--
ॐ आजिग्घ्र कलशं मह्या, त्वा विशन्त्विन्दवः।
पुनरूर्जा निवर्त्तस्व, सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा, पयस्वती पुनर्मा विशताद्रयिः।।
(मंत्रोचार के साथ कलश को निश्चित स्थान पर रख देना चाहिए)
स्थापित कलश में जल भरने का मंत्र
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि, वरुणस्य स्कम्भसर्जनी स्थो, वरुणस्यऽऋतसदन्यसि, वरुणस्यऽऋत सदनमसि, वरुणस्यऽऋतसदनमासीद॥
(इस मंत्र का उच्चारण करते हूए कलश में जल भर दें)
कलश में दूर्वा कुश सुपारी अरु पुष्प, चंदन डालें
ॐ त्वां गन्धर्वाऽअखनँस्त्वाम्, इन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
त्वामोषधे सोमो राजा, विद्वान्यक्ष्मादमुच्यत॥
(इस मंत्र से कलश में दूर्वा- कुश, सुपारी, पुष्प डालें)
कलश में सर्वौषधि (पंचरत्न) डालने का मंत्र
ॐ या ओषधी: पूर्वाजातादेवेभ्यस्त्रियुगंपुरा ।
मनै नु बभ्रूणामह ग्वंग शतं धामानि सप्त च ।।
कलश पर आम के पत्ते रखने का मंत्र
ॐ अश्वस्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृता ।
गोभाज इत्किलासथ यत्सनवथ पूरुषम् ।।
कलश में सप्तमृत्तिका (सात स्थानों से लायी गई मिट्टी) रखने का मंत्र
ॐ स्योना पृथिवि नो भवानृक्षरा निवेशनी।
यच्छा नः शर्म सप्रथाः।।
कलश में इस मंत्र से सुपारी रखें
ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः ।
बृहस्पतिप्रसूतास्ता नो मुञ्चन्त्व ग्वंग हसः ।।
कलश में द्रव्य यानी सिक्का रखने का मंत्र
ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् ।
स दाधार पृथिवीं द्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम ।।
कलश पर इस मंत्र से वस्त्र लपेटें, कलावा लपेटें
ॐ सुजातो ज्योतिषा सह, शर्मवरूथ माऽसदत्स्वः।
वासोऽ अग्ने विश्वरूप ग्वंग, सं व्ययस्व विभावसो॥
कलश पर चावल से भरा पात्र रखने का मंत्र
ॐ पूर्णा दर्वि परा पत सुपूर्णा पुनरा पत ।
वस्नेव विक्रीणावहा इषमूर्ज ग्वंग शतक्रतो ।।
(इन मंत्रो का उच्चारण करते हुए कलश पर एक मिट्टी के पात्र में अरवा चावल भरकर रखना चाहिए)
कलश पर नारियल रखने का मंत्र
ॐ याः फलिनीर्या ऽ अफलाऽ, अपुष्पा याश्च पुष्पिणीः।
बृहस्पतिप्रसूतास्ता, नो मुञ्चन्त्व हसः।।
(इन मंत्रो के उच्चारण करते हुए नारियल में लाल वस्त्र लपेटकर कलश पर रखना चाहिए)
अब इन मंत्रों से कलश की पूजा करें-
(वरुण देवता का आह्वान एवं ध्यान करें...)
ॐ तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः।
अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि।
ॐ भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
‘ॐ अपां पतये वरुणाय नमः’ ।
(इन मंत्रो का उच्चारण करते हुए कलश पर अक्षत और फूल चढ़ाते हुई चंदन लगाना चाहिए)
अब कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश में पंचदेवता, दशदिक्पालों और वेदों को आकर विराजने की प्रार्थना करनी चाहिए। साथ ही कलश में उपस्थित शक्तियों से पूजा सफल करने की प्रार्थना करनी चाहिए। घर परिवार व अपनों के सुख समृद्धि की भी कामना करनी चाहिए।

नवरात्रि में कलश स्थापना व पूजन सामग्री (Puja Samagri Ki List) -
चौकी,
स्वयं के बैठने के लिए आसन,
माँ दुर्गा के चित्र या मूर्ति,
गणेश जी के चित्र या मूर्ति,
पान का पत्ता,
सुपारी,
कलावा या मौली,
धुप-अगरबत्ती-दीपक,
कपूर,
मिट्टी का कलश, (मिट्टी के कलश के स्थान पर तांबे, पीतल, कांशे या चांदी के भी कलश प्रयोग किये जा सकते है)
किसी पवित्र स्थान से लायी गई मिट्टी, (अगर नदी किनारे की हो तो अति उत्तम)
जौ,
आम या अशोक के पत्ते, (अष्टदल यानि आठ पत्तो वाला समूह)
अखंड ज्योति के लिए दीया,
कलावा/मौली,
सिंदूर,
रोली (कुमकुम)
चन्दन,
जटाओं वाला नारियल,
लाल-पीले या नारंगी रंग के फूल,
पुष्पमाला,
दूर्वा,
अक्षत, (सफेद चावल या हल्दी से रंगे चावल भी प्रयोग होते है)
बाती के लिए रुई,
गंगाजल,
तुलसी के पत्ते (गणेश जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाये जाते है)
सिक्का, (कलश के अंदर डालने के लिए)
शहद,
इत्र,
घी,
तिल का तेल (अन्य दीये को जलाने के लिए यदि घी कम पड़ रहे हो तो)
हल्दी,
गुड़,
मिठाई,
फल,
लौंग,
इलायची,
कमल का फूल,
लाल कपड़ा,
माता को चढ़ाने के लिए लाल चुनरी,
नारियल पर बांधने के लिए छोटी लाल चुनरी,
प्रसाद के लिए ऋतुफल,
दुर्गा सप्तशती (पूरी नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना इसी मुख्य पुस्तक से होती है)
दुर्गा चालीसा सहित आरती की पुस्तक
देवी माँ को चढाने के लिए श्रृंगार के कुछ सामान
चूड़ी
इत्र
नेलपॉलिश
सिंदूर
आलता (पैर की ऐड़ी को रंगने के लिए एक तरह का लाल रंग, इसे 'महावर' भी कहा जाता है)
बिंदी
मेहंदी
काजल
कंघी
मंगलसूत्र या कंठहार
पायल
लिपस्टिक
कान की बाली
रिबन बैंड जो स्त्री अपनी चोटी में लगाती है
गजरा
नथ
बिछिया
नवरात्रि में माता के शृंगार का समान अर्पित करने का विधान है। इससे कलश स्थापना का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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लेख:
राजीव सिन्हा
Jai maa durga 🙏🙏🙏
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