
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन यानि जो तिथि आती है, उसे हम अमावस्या के नाम से जानते है। इस दिन चंद्रमा आकाश में अदृश्य रहता है और इसी कारण इसे पूर्ण अंधकार का दिन भी कहा जाता है। वैसे तो अंधकार सदैव बुरा माना जाता है चाहे वो जीवन में हो या फिर आस पास, अंधकार तो अंधकार ही होता है पर बावजूद इसके इस दिन को कई मायनो में आध्यात्मिक साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इस दिन को ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शनि देव और माँ काली की पूजा का भी विधान है पर यह दिन पितृ दोष निवारण हेतु पूजा पाठ के लिए भी महत्वपूर्ण है।
आश्विन मास की अमावस्या दूसरे मास की अमावस्या से कैसे अलग है?
वैसे तो सभी अमावस्या पूजा पाठ के लिए विशेष है पर आश्विन मास की अमावस्या का अपना ही एक अलग महत्व है। इस दिन को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग में यह दिन वर्षा ऋतू की समाप्ति और शरद ऋतू के आगमन के साथ वर्ष में एक बार आता है। समूचे भारत में इस समय मौसम बड़ा सुहावना होता है। वातावरण में न अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। एक तरह से यह समय अनायास ही बसंत ऋतू की स्मृति करा जाता है।
क्या महालया का वर्णन हिन्दू धर्म शास्त्रों में मिलता है?
महालया का वर्णन हिन्दू धर्म शास्त्रों में मिलता है। महालया का शास्त्रों में बड़ा महत्व बतलाया गया है। महालया के अनुष्ठान के बारें में अग्नि पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण जैसे अन्य कई पुराणों में चर्चा की गई है।
महालया का क्या अर्थ हैं
महालया का अर्थ हैं, देवी दुर्गा व उनकी अन्य शक्तियों का पृथ्वी पर आह्वान या निमंत्रण है। यह मंत्रोच्चारण के द्वारा संपन्न होता है। इस तरह से यह दिन अमावस्या की अँधेरी रात्रि को देवी के आह्वान के रूप में मनाया जाता है। महालया के अगले दिन के प्रातः काल ही कलश स्थापना हो जाती है और इसी के साथ शारदीय नवरात्रि आरम्भ हो जाती हैं।
पितृ दोष के निवारण के लिए महालया क्यों महत्वपूर्ण है?
पितृ दोष के निवारण के लिए महालया का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल महालया वह दिन होता है जिस दिन पितृ पक्ष की समाप्ति हो जाती है अर्थात महालया या महालया अमावस्या पितर पक्ष के अंतिम दिन को कहते है। महालया को महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। चूँकि यह दिन पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस दिन उन सभी पितरो का भी तर्पण किया जाता है, जिनके नाम की जानकारी नहीं है या फिर जिनसे ज्यादा परिचय नहीं रहा हो।
महालया को और कौन कौन से नाम से जाना जाता है?
चूँकि इस दिन का तर्पण उन सभी अज्ञात पितरो के निमित्त होता हैं, जिनसे परिवार के सदस्य अवगत नहीं हैं इसलिए महालया के दिन को 'सर्वपितृ अमावस्या' अथवा 'पितृ विसर्जनी अमावस्या' भी कहा जाता है। कई स्थानों पर इस दिन को 'मोक्षदायिनी अमावस्या' के नाम से भी जाना जाता है।
क्या महालया का दिन सबके लिए महत्वपूर्ण माना जाता है?
यह दिन उनके लिए विशेष महत्वपूर्ण है, जो पितृ दोष से पीड़ित है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में असफलता हाथ लगती है। व्यक्ति का जीवन निराशा से भर जाता है। इसलिए यदि आप भी इन दोषो को झेल रहे है तो इसका समाधान अवश्य कर लें।
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लेखक :
राजीव सिन्हा