Hindi Movie Script – फोन वाला रिश्ता

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Short Film Script In Hindi - फोन वाला रिश्ता
Pic Credit-pikwizard

"Bollywood Movie Synopsis"

जिंदगी भी विचित्र है। जीवित रहने पर मृत्यु का टेंशन और मृत्यु के पास आने पर जीवन की लालशा। ये कैसी उलझन है, जिसको समझना मेरे लिए कभी भी सम्भव नहीं हो पाया।


अब जहाँ एक ओर सौम्या से हमेशा हमेशा के लिए बिछड़ने का सदमा झेलने की स्थिति बन रही थी तो दूसरी ओर करियर भी बीच अधर में लटका दिख रहा था। रोजगार की स्थिति ऐसी थी कि जिसमें कोई भविष्य नहीं था। अगर ढाई लाख सौम्या को ज्वेलरी डिजाइन के लिए नहीं दिया तो वो दो महीने बाद किसी और लड़के से शादी करने के लिए तैयार थी।


अब क्या पता वो मुझसे धोखा कर रही थी या फिर उसे हर हाल में अपना बनाने की मेरी ही जिद्द थी। वैसे भी सौम्या मुझसे हजारो किलोमीटर दूर रहती थी। उससे मिले तो कई बर्ष हो चुके थे। केवल फोन पर ही हमारे रिश्ते की बहुत पतली सी डोर टिकी हुई थी और वो भी मेरी जिद्द से वरना उसने तो रिश्ते को तोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी थी।


Script Writer in India


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अब इसे हम अपना पागलपन कहे या उसकी फीमेल ट्रिक कहे कि वो जर्जर रिश्ता, जो उसकी तरफ से कब का मर चुका था, फिर भी मेरे कारण से वो मालगाड़ी की भांति जैसे तैसे चल रहा था। बर्षो तक बिना मिले भी रौशन होने वाले इस दीये रूपी रिश्ते के पीछे पैसे और सहनशक्ति के तेल - बाती काम कर रहे थे। जिस दिन हमारी ओर से ये दोनों बंद होते, उसी दिन और उसी पल से उस रिश्ते का भी अचानक से अंत हो जाना पूरी तरह से तय था।


हर हाल में उसे अपनी पत्नी बनाने की जिद्द के कारण मैं हर सम्भव प्रयास अब तक करता आ रहा था। लेकिन उसी बीच मेरे जीवन की कहानी में एक नया मोड़ तब आ जब 6 बर्ष की मासूम सी भोली भाली कृति के जीवन जाने का डर सताने लगा।


वैसे तो कृति मेरी कोई नही थी। कोई मतलब - कोई नहीं। उससे न मेरा कोई रिश्ता था और न ही वो मेरी पड़ोसी थी और न ही उसके माता पिता से मेरा कोई घनिष्ट सम्बन्ध था। घनिष्ठ सम्बन्ध तो दूर की बात है, उनसे मेरी कोई जान पहचान भी नहीं थी।


बस वो बच्ची मेरे ऑफिस में कौतुहलवस दरवाजे से झाँकते झाँकते साहस करके अंदर घुसने लग गई थीं और फिर मुझे उस बच्ची से खुब पटरी खाने लगी थी। लेकिन कुछ दिन बाद ही उसका स्वास्थ्य खराब रहने लग गया। उसका खिलता चेहरा मुरझाने लगा था। पता चला, उस मासूम बच्ची के ह्रदय में छेद है। ऑपरेशन में बहुत खर्च है। कुछ पैसे का प्रबंध तो उसके माता पिता जैसे-तैसे कर रहे थे मगर फिर भी ढाई से तीन लाख घट रहे थे।


अब क्या होगा। पैसे कहाँ से आएंगे। पैसे के बिना बच्ची की जान चली जाएगी। मेरे जीवन में दुःख तो पहले से ही बेहिसाब थे। अब इसमें बच्ची का भी एक नया दुःख जुड़ गया था। एक ओर मेरे जीवन की बर्षो की चाहत, मेरी प्रेमिका के छूटने का दर्द तो दूसरी ओर करियर की चिंता और अब बच्ची का दुःख। ऑफिस, जिसमे मैं जॉब करता था, उसमे तीन लाख के सामान तो थे ही। मगर फॅसने का भी भय था। मगर और कोई उपाय नहीं था।


अब कृति की जान तो बच गई थी। मगर मेरा जीवन सुना हो गया था। अब न मेरी प्रेमिका रही और न ही मेरी जॉब। मेरी प्रेमिका और मेरी जॉब दोनों एक साथ बसंत ऋतू की भांति जा चुकी थी। मेरे जीवन में अब अंधकार ही अंधकार था। अब न कोई मेरा रहा और न ही मैं किसी का रहा। लेकिन तभी ......!!!!


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Film Script In Hindi - फोन वाला रिश्ता ....

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Script Writer

Rajiv Sinha

Screenwriters Association (SWA), Mumbai Membership No: 59004

(सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित है। इसका किसी भी प्रकार से नकल करना कॉपीराईट नियम के विरुद्ध माना जायेगा।)

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2Comments
  1. kahni ko pura post kijiya adha post read karne mai maja nhin ata hai


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  2. Yah koi kahani nhi hai. Yah short Film ki synopsis hai.

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