
Kasar Devi
विज्ञान और धर्म दोनों की अलग अलग धारणायें होती है। किसी को गलत तो किसी को सही नहीं कहा जा सकता है। विज्ञान की अपनी अलग मान्यताये है तो धर्म अपने आप में विस्तृत है। विज्ञान जहाँ तथ्यों व प्रमाणों को अपने सिद्धांत का आधार मानता है तो वही धर्म विश्वास पर आधारित होता है और धर्म के साथ श्रद्धा भी जुड़ी होती है। इसलिए दोनों के बीच टकराव नहीं होना चाहिए। लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी बातें सामने आती है जहाँ विज्ञान और धर्म एक - दूसरे के आमने - सामने खड़े दीखते है और ऐसा ही स्थल है - उत्तराखंड का एक प्रसिद्द शक्तिपीठ - "कसार देवी स्थल"
Kasar Devi In Hindi
सनातन धर्म विश्व के समस्त धर्मो का जनक है। सनातन धर्म अर्थात (Hindu Dharm) हिंदू धर्म जितना पुराना है, उतना ही यह गूढ़ भी है। सनातन धर्म का अर्थ है- शाश्वत या हमेशा बना रहने वाला धर्म यानि वैसा धर्म जिसका न कोई आदि है और न ही कोई अन्त है। सनातन धर्म स्थल से जुड़े हुए कई रहस्य ऐसे है, जो साधारण मानव तो क्या वैज्ञानिको की समझ से भी बाहर है। ऐसा ही एक देवी स्थल है, जिनका नाम है - कसार देवी।
Uttarakhand Ki Shakti Peeth :
"कसार देवी स्थल" का नाम आपने अवश्य सुनी होगी। कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में है। तो हम इस कड़ी में इसी पवित्र देवी मंदिर की चर्चा यहाँ करेंगे। यहाँ की कुछ बातें ऐसी हैं, जो आपके लिए जानना बहुत जरुरी हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि इस देवी मंदिर और मंदिर के आस पास के क्षेत्रो में कुछ ऐसी रहस्यमयी बातें हैं जो साधारण मानव के ही नहीं बल्कि भारत सहित अमेरिका के सबसे बड़े वैज्ञानिक संस्थान नासा की समझ से भी बाहर हैं और वो भी यहाँ के रहस्यों को सुलझाने में असफल रहा हैं।
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अब पूरी जानकारी यहाँ विस्तार से - "कसार देवी मंदिर"
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सनातन धर्म (Sanatan Dharm) का एक प्रमुख शक्तिपीठ स्थापित हैं, जिनका नाम हैं - कसार देवी शक्तिपीठ ! देवी का यह मंदिर अल्मोड़ा पहाड़ी पर स्थित है। इस पर्वत का नाम कश्यप पर्वत है। ये पर्वत अल्मोड़ा क्षेत्र से 9 km की दुरी पर स्थित है। यह शक्तिपीठ कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफा के अंदर स्थित है। कसार देवी मंदिर में मां दुर्गा का ही एक स्वरुप देवी कात्यायनी की पूजा होती है। श्रद्धालु स्त्री व पुरुष को यहाँ तक आने के लिए कई सीढियाँ चढ़नी होती है। लोग यहाँ कई सीढ़ियों पर चढ़ते हुए पहुँचते है। लेकिन कहते है, जब वे उतनी ऊँची चढ़ाई पर चढ़ते हुए भी वहां पहुँचते है तब भी उन्हें थकावट का बिलकुल भी आभाष नहीं होता है। वैसे तो यह मंदिर बहुत छोटा सा हैं मगर यहाँ के चमत्कार बहुत बड़े हैं और वो चमत्कार इतने बड़े हैं कि अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञान संगठन नासा के वैज्ञानिक भी इससे हैरान हैं।
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वास्तव में, माता के इस शक्तिपीठ के आस - पास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है जहाँ, धरती के भीतर विशाल भू-चुम्बकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसको रेडिएशन भी कहा जाता है। लेकिन घोर आश्चर्य की बात यह है कि आज तक कोई भी इस भू - चुम्बकीय पिंड का पता नहीं लगा पाया है। कई पर्यावरणविद भी यहाँ शोध कर चुके है। माता की इस शक्तिपीठ कसार देवी जैसा ही विश्व में दो अन्य स्थान - ब्रिटेन का स्टोन हेंग और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू भी है, जहाँ से ऐसे ही रेडिएशन निकलते है।
इस क्षेत्र में निकलने वाले विशेष प्रकार के रेडिएशन के कारणों का पता कई बर्षो से नासा भी लगा रहा है। मगर वो भी अब तक इसके कारणों का पता लगाने में असफल रहा है। हालांकि नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इस स्थल के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर रिसर्च अब भी कर रहे है। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है।
कसार देवी मंदिर के आस-पास धरती के अंदर काफी बड़ा भू-चुंबकीय पिंड है। इसमें बिजली से चार्ज कणों की परत होती है। इसे ही रेडिएशन कहते हैं। इस मंदिर में मानसिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। वैज्ञानिक इस मंदिर का रहस्य आज तक नहीं सुलझा पाए हैं। इसको अद्वितीय चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता हैं, जहां अलौकिक मानसिक शांति की अनुभूति होती है। माना जाता है यहां कई तरह की शक्तियां निहित हैं।
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स्वामी विवेकानंद भी साधना के लिए यहाँ आ चुके है :
यहाँ ध्यान लगाने पर एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है, जैसा एक सामान्य क्षेत्रो में नहीं होती है। इसलिए ये क्षेत्र साधना का क्षेत्र माना जाता है। स्वामी विवेकानंद भी यहाँ आ चुके है। माता की शक्ति से विवेकानंद बर्ष 1890 में यहाँ खींचे चले आये थे। माता की प्रेरणा से उन्होंने यहाँ कई महीनो तक साधना की थी। विवेकानंद ने यहाँ पारलौकिक शांति की अनुभूति की थी। कहते है, विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति यही हुई थी। विवेकानंद ने यहाँ आकर अपने आपको धन्य माना था। बौद्ध गुरु लामा गोविंदा ने भी यहाँ के एक गुफा में रहकर विशेष साधना की थी।
यहाँ हर बर्ष कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर कसार देवी का मेला भी लगता है। वहीं, इस मंदिर में आने वाले भक्त सीढ़ियों को चढ़कर माता के दर्शन किया करते हैं। मानसिक शांति के लिए भक्त विदेशो से भी खींचे चले आते है। इसलिए यहाँ बड़ी संख्या में दूसरे देशो से आये हुए श्रद्धालुओं को भी देखा जा सकता है। वे सब यहाँ आकर एक अलौकिक मानसिक शांति की अनुभूति करते है। यहाँ देश - विदेश की कई बड़ी हस्तियां आ चुके है। साठ - सत्तर के दशक में हिप्पियों का भी ये प्रिय स्थल हुआ करते थे।
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Kasar Devi Temple Story in Hindi : -
कहा जाता है दैत्यों का संहार करने के बाद माँ दुर्गा का ही एक स्वरुप देवी कात्यायनी यहाँ स्वयं प्रकट हुई थी। माँ कात्यायनी ने दो भयानक असुर शुम्भ और निशुम्भ का वध इसी पहाड़ी पर किया था। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा के शेर के निशान अभी भी एक चट्टान पर मूर्ति के पीछे हैं। माँ देवी ने चित्त की शांति के लिए यहाँ स्वयं साधना भी की थी। इसलिए यहाँ एक विशेष रेडिएशन हमेशा निकलता रहता है, जो यहाँ साधना करने वालो को असीम शांति की अनुभूति करवाता है। वास्तव में, माँ कात्यायनी के स्वयं प्रकट होने के कारण यहाँ के कण कण में शक्ति का आभाष होता है। इस मंदिर की गिनती देव भूमि उत्तराखंड के चमत्कारी मंदिरों में होती है।
माता का यह मंदिर दूसरी शताब्दी के काल का है। मगर लोगो के बीच यह प्रसिद्द तब हुआ जब यहाँ विवेकानंद का आगमन हुआ। विवेकानंद यहाँ 1890 के दशक में रहा करते थे। उन्होने लोगो को सनातन धर्म (Sanatan Dharm) के लिए जागृत किया। प्राकृतिक रूप से भी ये क्षेत्र बहुत ही मनभावन है। यहाँ आकर चित्त को अपार शांति मिलती है। मंदिर चारों तरफ से ऊंचे ऊंचे देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर के चारों तरफ प्रकृति का अद्भुत सौन्दर्य है।
कसार देवी स्थल तक पहुँचने का मार्ग : -
माता के इस स्थल तक रेल मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग से भी जाया जा सकता है। कसार देवी का निकटम हवाई अड्डा पंतनगर है। जिसकी दुरी यहाँ से लगभग 125 किलोमीटर है। जबकि कसार देवी का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। जिसकी दुरी मंदिर स्थल से लगभग 90 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से अल्मोड़ा के लिए बस और प्राइवेट टैक्सी की सुविधा हमेशा उपलब्ध रहती है। इसके साथ ही कसार देवी स्थल सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है। राजधानी दिल्ली सहित देश के किसी भी अन्य भाग से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
लेखन :
(राजीव सिन्हा दिल्ली के जाने माने लेखक है)