
Motivational Story in Hindi : -
दुःख और असफलता किसी को भी पसंद नहीं है। लेकिन बिना चाहे भी ये तत्व हमारे जीवन को नीरस करने के लिए आस पास मड़राते रहते है। हालांकि कुछ भग्यशाली मानव ऐसे भी होते है, जिनके जीवन में आने वाली घोर असफलता में ही सफलता के बीज छिपे होते है और एक समय आने पर वो अपने जीवन की उस ऊँचाई को भी छू जाते है, जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की होती है। ऐसी ही एक motivational story को यहाँ पढ़े।
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एक गांव में एक किसान रहता था। उस किसान के पास कुछ खेत थे। लेकिन वे खेत अलग अलग स्थानों पर थे, जिससे किसान को काफी दिक्कत होती थी और लाभ भी बहुत कम होता था। किसान के अन्य खेतो में से के एक खेत ऐसा भी था जो गांव के मुख्य पक्की सड़क के बिलकुल किनारे पर था। उसके अन्य खेती योग्य जमीन के टुकड़े में वह खेत बहुत बड़ा था। मगर वहां कुछ भी उपज नहीं हो पाता था। इस कारण किसान को उस सड़क किनारे वाली जमीन पर खेती करने में सदैव हानि ही होती थी।
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लगातार हो रही हानि से बचने के लिए किसान ने बहुत सोच समझ कर अंत में उस पर सीसम के वृक्ष लगाने का मन बनाया। कुछ दिन बाद उसने सड़क किनारे वाले जमीन के उस बड़े भाग पर सीसम के सैकड़ो पेड़ लगा दिए। किसान ने सोचा कि अन्य कोई उपज न सही कम से कम सीसम के पेड़ तो यहाँ लग ही जायेंगे। अगर ये पेड़ यहाँ होंगे तो इनकी लकड़ी अच्छी कीमतों पर बिकेगी। इस तरह से ये पेड़ मेरे बुढ़ापे का मजबूत सहारा बन सकता हैं।
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लेकिन किसान का दुर्भाग्य ने यहाँ पर भी उसका पीछा नहीं छोड़ा था। उस जमीन पर लगाए गए सीसम के सैकड़ो पेड़ भी कुछ दिन में सूख गए। तब किसान बहुत हताश हो गया। क्योंकि जो पैसे उसने सीसम के छोटे छोटे पेड़ को खरीदने में खर्च किये थे, वे भी बर्बाद हो गए।
अंत में, हारकर किसान ने उस जमीन को बेचने का निर्णय ले लिया। मगर लोग उस जमीन को अभिशप्त मानकर खरीदने को तैयार नहीं हो रहे थे और एक - दो खरीददार मिले भी तो उसने उस जमीन को बिलकुल कौड़ी के भाव पर लेने को तैयार हुए। मगर किसान सड़क किनारे के उस बड़े से जमीन के टुकड़े को कौड़ी के भाव पर बेचना नहीं चाहता था।
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इस तरह से किसान उस जमीन को लेकर गहरी चिंता में डूब गया। वह जमीन किसान के लिए सिरदर्द बन गई थी। न उसे रखने में किसी तरह का लाभ था और न ही उसे बेचने पर ही लाभ था। लेकिन किसान ने साहस नहीं छोड़ा।
एक दिन किसान के मन में अचानक एक विचार आया। उस विचार के अनुसार किसान ने अपने बचे हुए शेष खेतो के कुछ टुकड़ो को बेच दिया और उससे जो पैसे उसे प्राप्त हुए, उन पैसों से उसने उस जमीन पर दुर्गा माता का मंदिर बना दिया। मंदिर बनने के बाद किसान वही रहने लगा और वो वहां का पुजारी बन गया। मंदिर में श्रद्धालु आने लगे और वो अपनी श्रद्धा के अनुसार मंदिर में भी कुछ अर्पित भी करने लगे। इससे पुजारी बने किसान की आय होने लगी।
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चूँकि उस क्षेत्र में दूर दूर तक कोई बड़ा मंदिर नहीं था। इसलिए वहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दिनों दिन वृद्धि होने लगी और फिर वो मंदिर उस क्षेत्र की प्रमुख पहचान बन गया। लोग उस मंदिर में दूर दूर से आने लगे। जब लोगो की भीड़ बढ़ने लगी तो आस - पास के कुछ लोगो ने भी वहां आस पास दुकाने खोलनी शुरू कर दी। दुकाने खुलने से उस क्षेत्र में अब रात दिन चहल - पहल रहने लगी। जब लोग वहां आने लगे तो कई शिक्षण संस्थान भी वहां खुल गए। जब शिक्षण संस्थान खुले तो फिर धीरे धीरे कई चिकित्सा संस्थान भी वहां खुल गए।
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जब इतनी चहल पहल बढ़ गई तो महानगर में बैठे बिल्डरों का ध्यान भी वहां चला गया। जब बिल्डर पहुंचे तो उन्होंने जल्द ही ऊँची ऊँची बिल्डिंगे वहां बनानी शुरू कर दी। कुछ समय बाद सरकार का भी ध्यान वहां गया। राज्य सरकार के कई ऑफिस के टेंडर निकले। अब वो क्षेत्र सरकार को भी आकर्षित करने लग गया था। परिणाम ये हुआ की सरकार से जुड़े कई ऑफिस और ऑफिसर्स कॉलोनी भी वहां बनाये जाने लगे। अब कुछ ही बर्ष में वो क्षेत्र एक बीआईपी क्षेत्र घोषित हो गया।
वहां बड़े बड़े शोरूम स्थापित हो गए थे। कई बड़ी कंपनियों ने भी अपने ऑफिस को वहां या तो शिफ्ट कर लिया था या उन्होंने एक नई ब्रांच ही वहां स्थापित कर लिया।
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अब किसान के दिन पूरी तहर से फिर गए थे। अब मंदिर में भक्तो की अपार भीड़ लगी रहती थी। भक्ति के आगे उनकी मनोकामनाएं भी पूर्ण होने लगी। क्योकि माँ दुर्गा हर श्रध्दालुओ के ह्रदय में वास करती है। उन्होंने किसान की दरिद्रता दूर कर दी थी। साथ ही भक्त भी वहां से लाभ उठाने लगे थे। उस क्षेत्र के बसने से कई लोगो को आजीविका का साधन मिला और उनके जीवन में उजाला हो आया था। लाखो लोग आनंद का जीवन जीने लगे थे। लाखो लोगो के चेहरे पे हंसी आयी थी क्योकि उनका जीवन खुशहाल हो गया था।
अब उस किसान की पहचान बदल गई थी। वो अब किसान नहीं बल्कि एक सम्मानित पुजारी कहलाने लगा था। वैसे वो पहले भी नेक मानव था और बाद में भी वो हमेशा नेक ही रहा। उसने मंदिर के नाम से एक ट्रस्ट बना दिया। अब मंदिर की कमाई पर ट्रस्ट का अधिकार हो गया। पुजारी मंदिर से होने वाली कमाई का केवल उतना ही हिस्सा अपने पास रखता जितने से उसका आगे का जीवन चल सके।
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समय बदला। उस क्षेत्र का नाम उसी किसान के नाम पर पड़ गया। अब वो उस क्षेत्र में जिधर से निकलता, लोग उसे सम्मान के साथ प्रणाम करते। मगर अपार सफलता के बाद भी पुजारी बने उस किसान के पास कभी भी अभिमान नहीं आया। वो अपने पुराने दिनों को कभी भी नहीं भुला। वो सभी के साथ आदर से बात करता था और एक साधारण मानव की भांति जीवन जीता था।
समय बिता और एक दिन किसान बने पुजारी का निधन हो गया। अब मंदिर पर पूरी तरीके से ट्रस्ट का अधिकार हो गया। लोग पुजारी बने उस किसान की महानता के गुण गाते नहीं थकते थे। उसने अपनी सूझ बुझ से लाखो लोगो के जीवन में उजाला भर दिया था। एक बेकार से क्षेत्र को आवाद कर दिया था। उसके कारण लाखो लोगो को आजीविका के साधन मिल गए थे।
देखा गया है, कभी कभी जीवन में लगातार मिल रही घोर असफलता भी एक नयी सफलता की ओर ले जाने का सूचक होता है। जरुरत है, ऐसी विकट परिस्थितयों में भी धैर्य के साथ प्रयासरत रहने की।
Script Writer