![2023 का जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत कब है?](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjk_pNS2UnnLAMbmtRfC1lvxsfSuYqWgMKwV7HYXJyRHxJD2buRgrJkp970FyBREcspOpsLFk-BN6mSA99fpsTntrIhmWMMVYw0gvkP6kJuqFIt3xVar-ffseH1sAWxjoQONA-G0RNTdjOTI9fQcrf5xhpmg9t6ZESmtvwSFZATnX67JCblbYTSKFcqCkyq/s600-rw/2023%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%95%E0%A4%AC%20%E0%A4%B9%E0%A5%88.%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%82,%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%20%E0%A4%AF%E0%A4%B9%20%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4.jpg)
जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत (Jitiya ya Jivitputrika Vrat)
सनातन धर्म (Sanatan Dharm) में सभी के पूजन के लिए समय निर्धारित है। सनातन धर्म में पितर भी पूजनीय माने जाते है। इसी कारण उनके पूजन के लिए भी समय निर्धारित कर दिए गए है। वह समय आश्विन मास की नवरात्रि से पहले आता है। अर्थात आश्विन मास की नवरात्रि यानि दुर्गा पूजा से ठीक पहले श्राद्ध का समय निर्धारित किया गया है और उसी अवधि में कई व्रत पितरो के लिए ही किये जाते है। इसी तरह का एक व्रत है जिन्हे स्त्रियां अपनी संतान के लिए किया करती है। इस व्रत का नाम जितिया या जीवित्पुत्रिका है। यह व्रत स्त्रियां अपनी संतान के लिए रखती है। यह व्रत आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष के सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक रखा जाता है।
तीन दिन का होता है, जितिया व्रत
व्रत का प्रथम दिन नहाय खाय (Nahay Khay) कहलाता है। दूसरे दिन, माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए चौबीस घंटे उपवास करती है। उपवास के दौरान अन्न जल और फल का पूर्णतः त्याग करती है। तीसरे दिन व्रत की समाप्ति होती है। यह व्रत पितरो के लिए समर्पित है। यह उसी अवधि में होता है, जब श्राद्ध का समय चल रहा होता है और पुरुषो के द्वारा अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जा रहा होता है। यह ठीक नवरात्री से पहले होता है। वो समय शुभ नहीं कहलाता है। उन दिनों कोई शुभ कार्य का आरम्भ नहीं करना चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा है जितिया व्रत
जितिया व्रत यूँ ही नहीं मनाया जाता है, इसके पीछे भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी घटना है। यह महाभारत के यद्ध के समय की घटना है। जब महाभारत का भयानक युद्ध चल रहा था और फिर उसी क्रम में एक समय ऐसा भी आ गया जब कौरवो की ओर लड़ रहें सभी महारथी या तो वीरगति को प्राप्त हो गए या फिर मृत्यु शय्या पर सो गए। उसी समय कौरवो की ओर से लड़ रहें गुरु द्रोणाचार्य भी युद्ध में मारें गए। उस विपरीत परिस्थिति को देखकर गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा पूरी तरह से विचलित हो गया।
उसी परिस्थिति में वह पांडवों से प्रतिशोध लेने की नियत से उनके शिविर में आ गया। शिविर में सो रहें द्रोपदी के पांच संतानो को उसने बड़े ही क्रूरता और कायरता से हत्या कर डाली। अश्वत्थामा वीर नहीं एक कायर था और उसने कायरता का परिचय दिया था। वह दुर्योधन का साथ देकर अधर्म तो शुरू से कर ही रहा था मगर उसने कायरतापूर्ण कार्य करके एक कायर की उपाधि भी प्राप्त कर ली क्योकि धर्म के अनुसार किसी सोये हुए जीव पर आक्रमण करना घोर पाप है और यह पाप अश्वत्थामा ने किया था जबकि इस पाप में उसे कृपाचार्य और कृतवर्मा का साथ मिला था।
बाद में भगवान श्री कृष्ण के सहयोग से क्रोधित अर्जुन अश्वत्थामा को बंदी बना लिया और बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। इसके बाद प्रतिशोध की अग्नि में जलता हुआ अश्वत्थामा वीरगति को प्राप्त हुआ अभिमन्यु के अजन्मे बच्चे को अपने दिव्यास्त्र प्रयोग से मार डाला। इस घटना से भगवान श्री कृष्ण अत्यंत क्रोधित हो गए और उसी क्रोध में उन्होंने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा की अजन्मी संतान को अपनी नारायणी शक्ति से जीवित कर दिया।
तभी से माताओं द्वारा अपने बच्चे की लंबी आयु और रक्षा की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखने की परंपरा आरंभ हुई, जो आज तक जारी है।
2023 का जितिया व्रत
यह व्रत तीन दिन का होता है। वर्ष 2023 का जितिया व्रत 5 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार से 7 अक्टूबर दिन शनिवार तक चलेगा। 5 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को नहाय खाय है। 6 अक्टूबर दिन शुक्रवार को निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखा जाएगा जबकि 7 अक्टूबर को पारण है। बता दें, यहाँ नहाय खाय का अर्थ यह होता है कि निर्जला व्रत से ठीक एक दिन पहले शुद्ध व सात्विक भोजन के साथ मन एवं कर्म से शुद्ध होना।
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2023 का जितिया व्रत कब है। जानें, क्यों मनाया जाता है यह व्रत | 2023 Ki Jitiya | जीवित्पुत्रिका व्रत
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लेखन :
रूबी सिन्हा (स्वाति)
(राजीव सिन्हा लेखक है। साथ ही वे ज्योतिष शास्त्र व धर्म के भी जानकार है।)
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