राखी त्यौहार - Short Film Script

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राखी त्यौहार - Short Film Script
Pic Credit-Funkylife

रक्षा बंधन शार्ट फिल्म (Script)


सारांश –


मनोहर के घर के पास ही एक लड़का सुदेश कुछ दिन पहले किराए पर कमरा लिया है। लड़का शहर में रहकर कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा होता है। मनोहर की भी एक बेटी है नाम है रीना । वह भी सुदेश की उम्र की है और वह भी कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रही है । सुदेश व्यवहार कुशल (well behaved) लड़का है। वह मनोहर से जान पहचान करके उससे जल्द ही घुल मिल जाता है।


मनोहर की बेटी रीना भी सुदेश से घूम मिल जाती है। लेकिन मनोहर को अपनी जवान बेटी का एक अनजान लड़का के साथ इतना घुल मिल जाना अच्छा नहीं लगता है । उसे अब सुदेश का वहाँ रहना भी अच्छा नहीं लगता है। वह अपनी पत्नी गीता से कहता है।


मनोहर - गीता ! सुदेश का क्या करें ! अपनी इकलौती बेटी है ! अगर कल को कुछ उल्टा सीधा हो गया तो हम क्या करेंगे ! हमारा तो रीना के अलावे इस दुनिया और कोई है भी नहीं ।


गीता - लड़के को क्यों दोष दे रहे हो ! वो बेचारा तो कई बार हमारा काम आया है । याद है जब पिछले महीने आप की कितनी तबियत खराब हो गई थी । रात के समय जब मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रही थी, तब हमारे एक फोन पर वह आधी रात को भागा भागा चला आया और आपको हॉस्पिटल में भर्ती कराया । इतना ही नहीं वह सुबह होने तक वही रहा । सुदेश हमारा कोई नहीं है मगर उसने हमेशा एक बेटे का फर्ज निभाया है । और हाँ रही बात आपके शक की तो उसे क्यों कोसते है अपनी बेटी को रोकिये वह थोड़ी न रीना से बात करने के लिए आता है ।


मनोहर - गीता ! हम रीना को कुछ नहीं कह सकते ! आखिर वह हमारी इकलौती बेटी है ! लेकिन हाँ गीता ! एक बात यह भी है, हमें अपनी संतान पर पूरा भरोसा है।


(कल रक्षा बंधन है और रीना आज कुछ ज्यादा ही एक्ससाइटेड है।) रीना - मम्मी कल रक्षा बंधन है कितना मजा आएगा न !


गीता - (थोड़ा गंभीर होते हुए) हाँ बेटी कल रक्षा बंधन है, लेकिन तुम्हारे भाग्य में भाई कहाँ है बेटी इसलिए ......!!


रीना - मम्मी ! अपना भाई नहीं है तो क्या हुआ ! ...इस रक्षा बंधन को तो हम सेलिब्रेट करेंगे ……!!!


(आज रक्षा बंधन का दिन है। रीना फोन करके सुदेश को अपने घर पर बुलाती है।)


रीना - पापा सुदेश को मैं शुरू से भाई मानती रही हूँ । यह मेरा हम उम्र है इसलिए मैं इसको भैया भी नहीं कह सकती थी .... कई लोगो को ऐसा लगा कि मैं सुदेश के साथ ज्यादा घुल मिल गई हूँ जो एक जवान लड़की के लिए अच्छा नहीं है मगर हर लड़की एक जैसी नहीं होती है न पापा !


मनोहर - हाँ बेटी ! तुम बिलकुल सही कह रही हो, हर लड़की एक जैसी नहीं होती !


सुदेश - हाँ अंकल मैंने भी रीना को हमेशा एक बहन की नजरो से देखा है ....


मनोहर - हाँ ! तुमलोग ही सही थे .... मेरी नजरे ही धोखा खा गई (मुस्कुराता है)


सुदेश - कई घटना जीवन में ऐसी घटती है जिसको देखने के लिए नजर नहीं नजरिया बदलने की जरुरत होती है..


रीना - (सुदेश को राखी बांधती है)


(राखी सांग)



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For business enquiry,

Rajiv Sinha

(Delhi-based Writer/Author)

Mo. +91-8882328898


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