Web Series Script - बात उस रात की
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रोहन रात के समय एक हॉरर किताब पढ़ रहा है। वो कमरे में बिलकुल अकेले है। रात का सन्नाटा छाया हुआ है। हर और शांति छायी हुई है। तभी अचानक से उसे दूसरे कमरे से जोर की हलचल सुनाई पड़ती है। वो अपना ध्यान उधर लगाता है और फिर उसे किचन से ढेर सारे बर्तन गिरने की तेज आवाजे आती है।
वो जल्दी से किचन की ओर भागा भागा जाता है मगर जब वो किचन में जाता है तो वहां उसे कोई भी नहीं दिखाई पड़ती है। वो भयभीय हो जाता है। तभी उसे उस बेड रूम से आवाज आती है जहाँ वो कुछ देर पहले आराम से लेटा हुआ किताब पढ़ रहा था। वो दौर कर अब बेड रूम की ओर भागा। लेकिन वहां भी उसे कोई नहीं दिखाई पड़ती है।
ये सब देखकर व सुनकर रोहन अपने सर को ऐसे हिलाता है मानो वो अपने आप से कह रहा हो कि सब भ्रम था, वो व्यर्थ ही भयभीत हो रहा था और फिर वह अपने आपको यह विश्वास दिलाकर जैसे ही बेड पर फिर से बैठकर किताब पढ़ने लगता है। वैसे ही उसे आस पास फिर से कुछ हल्की हल्की आवाज के साथ हलचल सुनाई पड़ती है लेकिन रोहन उसे भ्रम मानते हुए किताब पढ़ने में व्यस्त रहा और अपना सारा ध्यान किताब में लगा दिया ताकि उसका ध्यान पूरी तरह से किताब में लगा रहे।
उसी बीच किताब पढ़ते पढ़ते रोहन को कब नींद आ जाती है, उसे पता ही नहीं चलता है। उसे इसका पता तब चलता है जब उसकी चादर पैर की तरफ से नीचे सड़कने लगती है और जब अचानक से उसकी नींद टूटती है तो वह चीख पड़ता है --
रोहन - (डर से लेकिन चीखते हुए) तुम ..... यहाँ कैसे आ गई ..... दरवाजा तो बंद है।
  
  
  
    
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  Delhi Based Hindi Writer  
This story is for a horror web series.....
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