साँची - A Best Emotional Love Story for Short Film

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साँची-A Best Emotional Love Story for Short Film

Hindi Movie Script

"Sanchi"-Best Short Movie Script In Hindi


जिंदगी भी विचित्र है। रात के उस सन्नाटे में दिवार पर टंगी घड़ी की सुईया टिक टिक कर रही थी और सुनसान कमरे में अकेली बैठी नेहा का ह्रदय जीवन के पहले पहले प्यार की स्मृतियों में डूबा जा रहा था। अपने प्यार के साथ बिताये हुए लम्हो में वो ऐसे डूबती जा रही थी मानो, वह दिवार घड़ी - कोई दिवार घड़ी नहीं बल्कि - वह एक टाईम मशीन हो जो उसे सुदूर अतीत में सैर करवाने के लिए ले जा रहा हो।

नेहा की आँखों के सामने स्मृतियों का ताँता लगा हुआ था। न जाने पहले किसको याद करें और किसको बाद में। लेकिन तीव्रता तो सभी स्मृतियों में थी।

नेहा के मन में बार बार जोर की टीस उठ रही थी। कई वादे हुए थे उनके बीच। कई कसमें खाई थी उन दोनों ने एक दूसरे के लिए। नेहा ने कभी सोचा नहीं था - एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसे, उसके बिना भी रहना पड़ेगा। लेकिन अब क्या हो सकता है। सुनील तो शहर छोड़कर जा चुका है। लेकिन उसका मन यह सच्चाई स्वीकार करने को तैयार नहीं था। मन कह रहा था - काश ! वो उसे छोड़कर नहीं जाता। यही रुक जाता। अपने प्यार को पाने के लिए संधर्ष करता मगर इस तरह से उसे छोड़कर यहाँ से नहीं जाता।

लेकिन अब वो है कहाँ ! किस शहर में है। कहाँ गया होगा वो, 'वो - उसका प्रेमी - वो लड़का सुनील'

पता नहीं, कोई नहीं जानता, वो कहाँ चला गया।


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Sanchi-Emotional Heart Touching Love Story for Short Film/Web Series

हालांकि नेहा को अपने प्रेमी पर पूरा विश्वास है। विश्वास भी क्यों न हो। आखिर उस लड़के - सुनील ने उसके कारण घर द्वार तक को छोड़ दिया था। पिता की संपत्ति की भी परवाह नहीं की थी। कारण क्या था। कारण यही था कि उसके पिता नहीं चाहते थे कि नेहा जैसी अनाथ और गरीब लड़की से उसकी शादी हो।

नेहा एक छोटे से शहर में रहने वाली एक गरीब लड़की है। नेहा का अब इस दुनिया में कोई नहीं है। बर्षो पहले माँ बाप दोनों गुजर चुके है। भाई - बहन है नहीं। इस तरह नेहा इस बड़ी सी दुनिया में बिलकुल अकेली जीवन गुजार रही है। इसी अकेलेपन में उसे सुनील से दोस्ती हो गई थी और फिर वही दोस्ती प्यार में कब बदल गई इसका अनुमान उसे तब लगा जब सोने से पहले सुनील उसकी यादों में आने लगा था।

सुनील वही पास में एक प्राइवेट स्कुल खोले हुए था। नेहा उसी के साथ पढ़ाया करती थी। मगर अब जब सुनील ही शहर छोड़कर चला गया है तब नेहा का यहाँ रहना सम्भव नहीं है। वो भी इस शहर को छोड़कर चली जायेगी। लेकिन कहाँ जायेगी वो - दिल्ली - 'हाँ दिल्ली जाएगी वो !'


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ऐसा सोचकर नेहा अपनी मातृभूमि को छोड़कर अगले ही सप्ताह दिल्ली के लिए रवाना हो जाती है। कुछ पैसे के दम पर वो एक पीजी में रहने लगती है। यहाँ उसके साथ एक रूम पार्टनर - डॉली है। मगर महानगर तो महानगर होता है। जितना व्यस्त यह शहर होता है उतना ही व्यस्त यहाँ के रहने वाले लोग भी होते है। किसी को भी किसी के लिए समय नहीं है। अब चाहे वो उसके साथ साथ कमरे में ही क्यों न हो।

वैसे ये बातें - कही और सही हो न हो मगर डॉली और नेहा के साथ तो कम से कम यह सही साबित हो रही है। क्योकि पीजी में नेहा के साथ डॉली पिछले दो महीने से रह रही है मगर डॉली और नेहा अब भी दो अनजाने की तरह एक साथ रह रहे है। दोनों ही एक दूसरे से अपरिचित है। दोनों को एक दूसरे का नाम पता है और बस - इससे ज्यादा दोनों एक दूसरे के बारें में और कुछ भी नहीं जानते है।


Sanchi - A Best Story for Short Film or Web Series in Hindi (Hindi Script)


नेहा को दिल्ली आएं दो महीने हो गए है मगर अब तक उसे कोई जॉब नहीं मिली है। कही कुछ तो कही कुछ। कही दुरी को लेकर तो कही सेलेरी को लेकर तो कही उसकी योग्यता को लेकर यहाँ जॉब नहीं मिल रही है। कही जॉब उसके लायक नहीं तो कही वो जॉब के लायक नहीं। बस यही उसके जीवन की दुःखद पहलु है।

लेकिन अब अगर उसे जॉब नहीं मिली तो उसे शहर में रहने के लिए पैसे भी नहीं बचेंगे। तब वो क्या करेगी। पैसे किससे मांगेगी। दुनिया तो इतनी बड़ी है। सब का कोई न कोई जरूर है। मगर उसका अपना कहलाने वाला इस बड़ी सी दुनिया में कोई नहीं है।

अंत में जैसे तैसे वो अपनी समस्या रूम पार्टनर डॉली को बतलाती है। डॉली शहर की तेज तर्रार लड़की है। उसने तो नेहा की समस्या को चुटकी में हल कर दिया। अब उसे कल एक कंपनी के ऑफिस में ज्वाइन करना है। कल नेहा का पहला दिन है।

और ये क्या - वो दिन तो आ भी गया। आज नेहा तैयार होकर अपनी जॉब के लिए चल पड़ी है।



बाएं कंधे पर बैग और दायी कलाई में फोन पकड़े नेहा दिल्ली की चौड़ी सड़क के बगल बगल बनाये साफ - सुथरे फुटपाथ पर चलते हुए अपने ऑफिस की ओर बढ़ रही है। लेकिन तभी उसकी दृष्टि फुटपाथ पर ही सामने पड़ी एक मरी हुई कुतिया पर पड़ जाती है और फिर .....


नेहा - (चिल्लाती है) आई ई .......

दीपक (सड़क पर जाता हुआ एक अनजान आदमी) - मरी हुई है …..

नेहा - (रूककर कुतियां को घूरती है )

बबलू - (एक पागल सा आदमी जो, कुतिया को एक नजर देख कर नेहा से बोलता है) साली कुतिया ....मर गई ...... (गाली देता है)

नेहा - तुमने मुझे गाली दी

बबलू - (नेहा की बातो पर बिना ध्यान दिए ही आगे बोलता है) अच्छा हुआ यह (फिर गन्दी गाली देता है) साली मर गई .....

छोटू - (सामने से आता हुआ दूसरा आदमी) सम्भल के मैडम ! यहाँ कुतिया भी सेफ नहीं है।

बबलू - रात को किसी ने रेप करके चलती कार से फेक दिया इस ( फिर गन्दी गाली देता है ) कुतिया को साली को .... (हँसता है)

नेहा - (नेहा रूककर छोटू से बबलू के बारें में पूछती है) यह पागल तो नहीं है!

बबलू - (नेहा से) हाँ मैं पागल हूँ। सब लड़के साले पागल ही होते है। लेकिन तुम लड़कियां ही केवल अच्छी होती हो। (कुतिया को देखकर) यह साली मरी है तो यहाँ पड़ी है नहीं तो किसी नए आशिक के साथ खूब ऐस कर रही होती और अपने बॉय फ्रेंड को धोखा दे रही होती। (बड़बड़ाते हुए आगे बढ़ जाता है)

नेहा - (गंभीर हो जाती है)

छोटू - (नेहा से भावुक होते हुए) मैडम! इसकी बातो को आप ह्रदय से मत लगाइये। इसका नाम बबलू है। मैं इसको जानता हूँ। यह बहुत अच्छा लड़का था। पढ़ने में तो इसकी बराबरी बहुत कम लोग ही कर पाते थे। कैरेक्टर्स का भी यह बहुत स्ट्रांग था। यह आईआईटी कर रहा था। मगर .....

नेहा (बीच में ही) क्या?

छोटू - हाँ मैडम!

छोटू - बबलू बहुत लायक लड़का था। मैडम मगर इससे एक गलती हो गई। यह एक लड़की से प्यार कर बैठा और वो भी सच्चा वाला ( बोलकर चुप हो जाता है )

नेहा - (उत्सुकता से) फिर क्या हुआ...!

छोटू - फिर क्या होना था ... वही हुआ जो आजकल लड़कियां कर रही है। उसने इसको जबर्दस्त धोखा दिया। वो लड़की दूसरे लड़को के साथ मिलकर इससे खूब पैसे की सहायता ली और काम निकलते ही उसने अपना वास्तविक रूप दिखा दिया। और यह बेचारा अब कही का न रहा।

नेहा - (भावुक होती है) ओह!

छोटू - तभी से यह पागल हो गया। अब इसको सभी लड़कियों से घृणा हो गई है।

नेहा - (पिछली यादो में डूब जाती है)


(Flashback Start)


सुनील - (नेहा से भावुक होते हुए) नेहा! मैं तुमसे बहुत बहुत प्रेम करता हूँ। तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकता।

नेहा - लेकिन सुनील! तुम शहर जा रहे हो! फिर ...!

सुनील - मैं जल्द लौट कर आऊंगा नेहा! कुछ लायक बनकर आऊंगा। अपने पैर पर खड़ा होकर आऊंगा। मेरा इंतजार करना नेहा!

नेहा - हाँ सुनील! मैं यहाँ तुम्हारी प्रतीक्षा करुँगी!

सुनील - तुम मेरी हो न नेहा!

नेहा - हाँ सुनील! मैं केवल और केवल तुम्हारी हूँ!

सुनील - हाँ नेहा! मुझसे धोखा मत करना। मैं पागल हो जाऊंगा-मैं पागल हो जाऊंगा!


(Flashback End)


अगर प्रेम दोनों ओर से सच्चा हो तो: - ईश्वर भी उनकी सहायता कर देते है


नेहा - (बहुत जोर से चीखती है) नहीं......

छोटू - क्या हुआ मैडम! शायद आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।

नेहा - (संभलकर) नहीं मैं ठीक हूँ (बोलकर आगे बढ़ जाती है)

(Cut to)

नेहा - (अकेले रोड पर चल रही है और सोच रही है) - तुमने ये क्या किया नेहा ! तुम तो शहर आ गई। अब अगर सुनील वहां अपने घर जायेगा तो उसकी स्थिति भी बबलू जैसी ही हो जाएगी। नहीं नेहा नहीं ……!!


Sanchi ......!!

"An Emotional and Heart Touching Story for Short Film"

Continue......   Makers, YouTubers, directors, and casting directors can contact us for this Story & script.....


Script Duration (Part-1): 8 Minutes (Approximately)



Writers

Rajiv Sinha
       &
Shikha Shukla

Screenwriters Association (SWA), Mumbai Membership No: 59004

(सर्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित है। इसका किसी भी प्रकार से नकल करना कॉपीराईट नियम के विरुद्ध माना जायेगा।)

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