Orchid Flower Images
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Full Information About Orchid In Hindi
आर्किड के पुष्प अत्यंत मनभावन, सुगन्धित एवं चिरजीवी होते है। संसार में आर्किड ही इकलौता ऐसा पुष्प का पेड़ है, जिसमें सबसे अधिक प्रजातियां होती है। अब यही कारण है कि आर्किड के पुष्प भांति भांति की आकृति में देखने को मिलते है। आर्किड की कुछ किस्म के फूल तो ऐसे होते है कि इन्हे पहचानना भी कठिन होता है। इतना ही नहीं कभी कभी तो लोग इस उधेरबुन में भी पड़ जाते है कि क्या यह फूल ही है या फिर किसी कलाकार के कला का चमत्कार।
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चूँकि आर्किड में कई ऐसे किस्म के फूल होते है, जिनकी आकृति, रंग - रूप, बनावट मानव के मुँह अथवा मानव शरीर के कोई विशेष अंग या फिर पुरे शरीर जैसी होती है। कभी कभी इनकी आकृति किसी विशेष वस्तुओ से मिलती जुलती लगती है। यहाँ तक की आर्किड के अनेक किस्में ऐसी होती है, जो दिखने में बिलकुल स्त्री योनि (Vagina) जैसी ही लगती है। ये फूल दिखने में बिलकुल स्त्री जननांग (Female Vagina) जैसे लगते है।
Flower that looks like a woman
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About Orchid Flower In Hindi
इन फूलों को देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहता है। इन फूलो के चित्र या उन फूलो को प्रत्यक्ष देखकर एक बार तो ऐसा लगता है जैसे किसी चित्रकार या कलाकार ने अपनी कला का सर्वोच्च प्रदर्शन किया हो। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। वो कोई एडिट किया हुआ चित्र या फिर किसी कलाकार का चमत्कार नहीं बल्कि होता है, बल्कि वो आर्किड का फूल होता है। तो ऐसा है आश्चर्य से भरा - आर्किड का फूल (Orchid Flower)
Woman's Vagina Shaped Flower
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वास्तव में, आर्किड है ही ऐसा, जो किसी को भी पहली नजर में ही अपनी ओर अनायाश आकर्षित कर लेता है। क्या स्त्री, क्या पुरुष, क्या बच्चे ! यह सबका मन मोह लेता है। तभी लोग आर्किड के फूल के फैन (Orchid Fan) है।
Orchid Flower
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आर्किड एक दुर्लभ जंगली फूल है
आर्किड का मूल निवास स्थान घर नहीं बल्कि घना जंगल है। (Orchid Ke Bare Mein Jankari) वास्तव में, आर्किड एक जंगली फूल है और यह अंटार्कटिका महादेश को छोड़कर समूचे विश्व में पाया जाता है। लेकिन फिर भी यह उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रो में अधिक पाया जाता है और वैसे स्थानों पर यह अधिक फलता फूलता है। मूल रूप से आर्किड ठन्डे स्थानों पर, घने जंगलो के पेड़ो की छाँव में, वृक्षों की शाखाओ पर अथवा दूसरे घने वृक्षों का आश्रय लेकर उगने वाला एक प्रकार का फूल का पौधा है। यह एक परजीवी पेड़ है, जो बड़े बड़े पेड़ की शाखाओ, उनकी जड़ो पर स्वतः उग आता है। हालांकि ऐसी स्थिति में यह मुख्य वृक्ष को भी कोई क्षति नहीं पहुंचाता है।
Blue Orchid Flower
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Orchid In Hindi
मुख्य वृक्ष को बिना हानि पहुचायें यह अपना विकास करता है और मध्यम समय तक जीवित रहता है। हालांकि ऐसी बात नहीं है कि आर्किड के फूल जंगलो में बहुत अधिक संख्या में उगे होते है। सच्चाई ये है कि आर्किड का पुष्प एक दुर्लभ पुष्प है, जो जंगलो में भी बहुत ढूंढने से ही मिल पाते है। इतना ही नहीं इसके एक पुष्प बनने में भी बर्षो लग जाते है। इसलिए ऐसे नाजुक फूलों को यदि घर में लगाना हो तो उसके लिए विशेष व्यवस्था तो करनी ही पड़ती है। क्योंकि आर्किड कोई साधारण फूल का पेड़ नहीं है। इस कारण अब अगर इन्हे एक सामान्य फूल के पेड़ की भांति घरो में लगाया जाता है, तो यह हरगिज नहीं लगेगा। क्योंकि पहली बात यह है कि घर का वातावरण आर्किड के लिए उपयुक्त नहीं है। यह उसके मूल प्राकृतिक आवास से ठीक विपरीत वाला आवास है। इसलिए आवश्यक है कि इसके पेड़ को लगाने के लिए उसके मूल वातावरण जैसी सुविधा देने की व्यवस्था करनी चाहिए। तभी आर्किड सही तरीके से अपना विकास कर पाता है।
Picture of Orchid Flower
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आर्किड की प्रजाति
आर्किड का पेड़ विश्व के कई देशो में देखने को मिलते है। आर्किड परिवार को लेकर बहुत धनी है। विश्व में इकलौता यह फूल का पेड़ है जिसमें सबसे अधिक प्रजातियां पायी जाती है। केवल भारत में ही इसकी 1300 प्रजातियां पायी जाती है जबकि विश्व में इसकी 25,000 प्रजातियां देखने को मिलती है। एक प्रजाति दूसरी प्रजाति से रंग - रूप, बनावट, आकार - प्रकार और प्रकृति में इतनी अलग होती है कि इन्हे पहचानना भी कठिन होता है कि यह आर्किड है। इस तरह आर्किड का परिवार बहुत बड़ा है। उत्तर पूर्व हिमालय में इसकी लगभग 600 प्रजातियों के पेड़ उगते है। जबकि उत्तर पश्चिम हिमालय के क्षेत्रो में लगभग 300 जातियों के पेड़ उगते है। इसके अलावे महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में भी आर्किड बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है।
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Information About Orchid Flower In Hindi
आर्किड का पेड़ ऑर्किडेसिया (Orchidaceae) परिवार का हिस्सा है और इसकी गिनती दुर्लभ पेड़ो में होती है। आर्किड के फूल अपनी प्रजाति के अनुसार अलग अलग रंगो में देखने को मिलते है। सामान्यतः यह लाल, गुलाबी, नीला, पीला, हरा, बैंगनी कत्थई, काला और उजले रंग के होते है। लेकिन आर्किड कि विशेषता यह है कि इसके फूल एक रंग के भी होते है और बहुरंगी भी होते है। आर्किड के पेड़ व उसपर फलने वाले फूल का आकार - प्रकार, रंग-रूप एवं प्रकृति इसकी प्रजाति तथा जलवायु के ऊपर निर्भर करता है। आर्किड को नमी / आद्रता (humidity) बहुत अधिक पसंद है। आर्किड की कई प्रजातियां पत्तियां विहीन होते है। अर्थात ऐसे आर्किड के पेड़ पर पत्ते नहीं होते है। इसपर केवल फूल ही फूल खिलते है।
Purple Orchid Flower
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आर्किड का हिंदी नाम क्या है ? (Orchid Plant Hindi Name)
आर्किड को हिंदी में आर्किड ही कहते है। अर्थात आर्किड का हिंदी नाम आर्किड ही है।
आर्किड की उत्पत्ति
आर्किड पर शोध में लगे वैज्ञानिको का कहना है कि आर्किड पृथ्वी पर लाखो बर्षो से उग रहा है। वैज्ञानिको ने ये बातें इसके जीवाश्म के अध्ययन के आधार पर कही।
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आर्किड के प्रकार (वंश/कुल/जाति)
A.मोनोपोडियल आर्किड (Monopodial Orchid)
B.सिम्पोडियल आर्किड (Sympodial Orchid)
बनावट के आधार पर आर्किड के मुख्य प्रकार में मोनोपोडियल (Monopodial) और सिम्पोडियल (Sympodial) के नाम आते है।
A.मोनोपोडियल आर्किड (Monopodial Orchid)- इसमें एक तना होता है और इसी एक तने में केवल एक पुष्प उगता है। मोनोपोडियल आर्किड केवल एक पुष्प के साथ बढ़ता है। वास्तव में, यह एकशाखीय होता है अर्थात ऐसे आर्किड के एक पेड़ पर केवल एक तना होता है और उसपर केवल एक फूल ही खिलता है।
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B.सिम्पोडियल आर्किड (Sympodial Orchid)- यह आर्किड का दूसरा वंश है। यह आर्किड मोनोपोडियल आर्किड के विपरीत बहुशाखीय होता है। व्यवसायिक दृष्टि से आर्किड का यह किस्म अधिक उपयोगी है। देशी - विदेशी बाजारों में इसी जाति के आर्किड की अधिक मांग है। इसमें अनेक प्रजातियां पायी जाती है। इन्ही प्रजातियों में सिम्बिडियम (Cymbidium Orchid) और डेंड्रोबियम (Dendrobium Orchid) व इन दोनों की संकर किस्म के पौधों को अधिक उगाया जाता है।
Orchid Flower Information In Hindi
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1.सिम्बिडियम आर्किड (Cymbidium Orchid) अथवा, Boat Orchid
2.डेंड्रोबियम आर्किड (Dendrobium Orchid)
1.सिम्बिडियम आर्किड (Cymbidium Orchid)- सिम्बिडियम आर्किड को Boat Orchid के नाम से अधिक जाना जाता है। सिम्बिडियम आर्किड के डंडियों में घने व झुके हुए फूल खिलते है। ये फूल विभिन्न व विचित्र रंगो में होते है। अर्थात ये बहुरंगी फूल होते है, जो अनायास किसी का भी मन मोह लेते है।
सिम्बिडियम आर्किड (Cymbidium Orchid) अथवा, Boat Orchid की कुछ प्रजातियां - सिम्बिडियम पिकलेंडी, सिम्बिडियम सनगोल्ड, सिम्बिडियम लोविनम, सिम्बिडियम एलेक्जेंडरी, सिम्बिडियम कैरिसबुक, सिम्बिडियम टेड ब्यूटी, सिम्बिडियम वैल्टिक, सिम्बिडियम किंग अर्तुर, सिम्बिडियम टस्टोन महोगनी, सिम्बिडियम स्कॉट्स सनराइज अरोरा, सिम्बिडियम मोरिह हिन्दू इत्यादि किस्म व्यावसायिक स्तर पर उपजाए जाते है एवं देशी व विदेशी बाजारों में इनकी बहुत मांग है।
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2.डेंड्रोबियम आर्किड (Dendrobium Orchid)- आर्किड के इस प्रजाति के फूल अत्यंत मनभावन होते है। इसकी सुंदरता अद्भुत होती है। इसकी भव्य सुंदरता सबका मन मोह लेता लेती है। यह जहाँ भी होता है, वहां की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देता है। इसके फूल भी बड़े बड़े होते है और इतना ही नहीं इनके फूल पेड़ पर एक से दो महीने तक बिना मुरझाये खिले रहते है। इस कारण आर्किड की दुनियां में डेंड्रोबियम का विशेष स्थान है।
डेंड्रोबियम आर्किड (Dendrobium Orchid) की कुछ प्रजातिय - डेंड्रोबियम विगेनी, डेंड्रोबियम सायवेली ओकउड, डेंड्रोबियम कुलथाना, डेंड्रोबियम वेलवेट, डेंड्रोबियम टोभी, डेंड्रोबियम ब्लॉसम, डेंड्रोबियम हनीलीन, डेंड्रोबियम ओरिएण्टल ब्यूटी, डेंड्रोबियम सेलर बॉय, सोनिया 17, सोनिया 17 म्युटेंट, हींग ब्यूटी, रीन्नपा, इकोपोल पांडा, सकुरा पिंक, पारामोट सबीन, इमावाइट इत्यादि किस्म व्यावसायिक स्तर पर उपजाए जाते है एवं देशी व विदेशी बाजारों में इनकी बहुत मांग है।
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सिंदूर का पेड़
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Pink Orchid Flower
सिम्पोडियल (Sympodial) आर्किड की ये दोनों प्रजातियां व उनसे निकले संकर नस्ल बड़े ही आकर्षक होते है। लोग अपने घरो में भी इन्ही प्रजातियों को लगाना पसंद करते है। इनके फूल अत्यंत मनभावन होते है। इनके फूल बड़े और घने होते है। इनके फूल अद्भुत सुन्दर होते है, जो किसी स्थान की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते है। इतना ही नहीं इनके फूल पेड़ पर बिना मुरझाये लम्बे समय तक खिले रहते है। इससे इनकी उपयोगिता कई गुना बढ़ जाती है।
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आर्किट की प्रकृति के आधार पर इसके तीन प्रकार है -
(क).एपिफाइटिक आर्किड (Epiphytic Orchid)- ऐसे आर्किड वृक्षों की शाखाओ पर उगते है। ये अपनी जड़ो के द्वारा पेड़ की शाखाओ को पकड़े रहते है। ये आर्किड अपने पोषक तत्व ह्यूमस से ग्रहण करते है। आर्किड की दुनियां में इनकी संख्या सबसे अधिक है और भारत में पाए जाने वाले कुल आर्किड में इनकी भागीदारी 60 प्रतिशत से भी अधिक है।
(ख).स्थलीय आर्किड (Terrestrial/Overland Orchid)- ऐसे आर्किड सीधे भूमि पर उगते होते है। इनकी प्रकृति सामान्य पेड़ पौधों की भांति ही होती है। ये मिट्टी में उगते है और अन्य पेड़ पौधों की भांति मिट्टी से ही पोषक तत्व ग्रहण करते है। ऐसे आर्किड ज्यादातर समशीतोष्ण क्षेत्र में होते है। जहाँ तक संख्या की बात की जाएँ तो एपिफाइटिक आर्किड के बाद इन्ही आर्किड का स्थान आता है।
(ग).माइकोहेट्रोट्राफिक आर्किड (Mycoheterotrophic Orchid)- ये आर्किड समशीतोष्ण व उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में पाए जाते है। ये आर्किड परजीवियों के साथ बढ़ते है और अपना पोषण कवक या संवहनीय पेड़ पौधों से प्राप्त करते है। आर्किड की इन तीन श्रेणियों में इनकी संख्या सबसे कम है।
Orchid Flower In Hindi
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आर्किड के पौधे को मिट्टी में नहीं लगाया जाता है
ध्यान रहें, आर्किड की खेती में मिट्टी का प्रयोग बिलकुल भी नहीं होता है। इसकी खेती मिट्टी रहित (Soilless) होती है। यह सॉइल लेस फार्मिंग (Soil less farming) है। आर्किड के पौधे को मिट्टी के स्थान पर सारी खुराक पोषक तत्वों के छिड़काव करके दी जाती है। इसके साथ ही यह हवा से भी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त कर लेता है। हालांकि ये भी सच्चाई है कि आर्किड की कई प्रजातियां सामान्य पौधों की भांति मिट्टी में उगते है और वे मिट्टी से पोषक तत्व ग्रहण करते है। मगर वे प्रजातियां सामान्यतः घर के वातावरण में कम ही उगते है।
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ऑर्किड के पेड़ को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है
आर्किड के पेड़ को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। गर्मी के दिनों में सप्ताह में दो या तीन दिन तो सामान्य दिनों में सप्ताह में एक या दो दिन ही इसमें पानी देना चाहिए। वैसे वातावरण के ऊपर निर्भर करता है।
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अरुणाचल प्रदेश को आर्केड स्टेट कहा जाता है
भारत में अरुणाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में आर्किड के पेड़ लगाए जाते है। वहां इसकी कई प्रजातियां विकसित है। अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में आर्किड रिसर्च एन्ड डेवलपमेंट स्टेशन की भी स्थापना की गई है। प्रदेश के कई शहरो में ऑर्नामेंटल और हाइब्रिड किस्म के आर्किड विकसित किये जा रहे है, जिनमें ईटानगर, सेसा, तिपि, दरांग, रोइंग और जेंगलिंग का नाम आता है। सेसा का आर्किड अभ्यारण्य (Sessa Orchid Sanctuary) अपने दुर्लभ प्रजाति (Rare Spacies) के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है।
White Orchid Flower
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क्या ऑर्किड को घर में लगाया जा सकता है
आर्किड को उद्यानों (Garden) में, घर के आँगन (Courtyard) में, बालकनी (Balcony) में या फिर घर की खिड़की (Window) पर गमले (Flowerpot) में लगाया जा सकता है। देश - विदेश में आर्किड की बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक विधि से खेती भी होती है। हालांकि आर्किड की खेती का एकमात्र उद्देश्य इसका व्यवसाय करना होता है। लेकिन इसके बावजूद आर्किड के लिए ये सभी आवास प्राकृतिक आवास नहीं है। आर्किड का प्राकृतिक आवास बिलकुल अलग होता है। इसके अपने प्राकृतिक आवास पर उगने या खिलने के तौर तरीके सामान्य पेड़ पौधों से बिलकुल अलग होते है।
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आर्किड की प्रकृति दूसरे पेड़ पौधों से बिलकुल ही अलग है। अब यही कारण है कि आर्किड दूसरे फूल के पेड़ पौधों से बिलकुल अलग है। जैसे आर्किड के फूल चिरजीवी होते है। अर्थात यदि परागण न हो तो आर्किड के फूल डेढ़ से दो महीने या फिर उससे भी अधिक समय तक बिना मुरझाये खिला रह सकता है। हालाँकि यह बात आर्किड के आवास और उसके रख-रखाव के ऊपर निर्भर करता है।
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घर में आर्किड के पेड़ को कैसे लगाएं - How to grow Orchids at home in India
आर्किड की अच्छी खेती के लिए एक ग्रीन हॉउस (Green House) या शेड हाउस (Shade House) की आवश्यकता होती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आर्किड को घरो में नहीं लगाया जा सकता। आर्किड की कुछ प्रजातियों को आसानी से घर में भी लगाया जा सकता है और घर की सुंदरता को एक नया रूप दिया जा सकता है।
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आर्किड को एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) से उगाया जाता है। इसका कारण यह है कि आर्किड हवा के द्वारा भोजन प्राप्त करता है न की दूसरे पौधे की तरह मिट्टी से। वास्तव में, एरोपोनिक तकनीक पेड़ पौधे को उगाने की सामान्य तकनीक से बिलकुल अलग विधि पर आधारित है। इस तकनीक में मिट्टी का उपयोग नहीं होता है। इतना ही नहीं, इसमें अनाश्यक पानी (Unnecessary Water) भी नहीं लगता है।
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आर्किड को घर में गमलो (Flowerpot) में लगाया जा सकता है मगर ध्यान रहे आर्किड को लगाने में बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। जैसे इसकी जड़ो को अन्य पौधों की तुलना में अधिक हवा की आवश्यकता होती है। इसलिए इसको कई छिद्रो वाले गमले में लगाना अच्छा माना जाता है ताकि उन छिद्रो से हवा आसानी से इसकी जड़ो तक पहुंच जाएँ। आर्किड अधिक तापमान में या तेज धुप में या फिर धुप की पड़ती सीधी किरणों में भी नहीं रहना चाहिए। सामान्यतः इसके लिए 18 डिग्री से लेकर 28 डिग्री तक का तापमान उचित माना जाता है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि इसे सूर्य की रोशनी से दूर रखा जाएँ। आर्किड के लिए सूर्य की रोशनी भी आवश्यक है। लेकिन यह रोशनी किसी परदे से छन कर आनी चाहिए या फिर किसी पेड़ की छाँह से छनकर आनी चाहिए। इस पर सूर्य की सीधी किरण नहीं पड़नी चाहिए। तभी आर्किड के पौधा का विकास हो पाता है।
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ऑर्किड को समय समय पर उचित मात्रा में खाद (nutrition) की भी जरुरत होती है। वैसे बाजार में आर्किड फर्टलाइजर (Orchid Fertiser) भी उपलब्ध है। आर्किड के लिए वैसे फर्टलाइजर का प्रयोग किया जाता है, जो पानी में घुलनशील (Water soluble) होते है। इन फर्टलाइजर को पानी में मिलाकर पौधे के ऊपर विशेषरूप से पत्तो के ऊपर छिड़काव करना चाहिए। ध्यान रहें, इसपर सामान्य फर्टिलाइजर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। केवल आर्किड फर्टलाइजर का ही छिड़काव करना चाहिए। अच्छे फूल के लिए आर्किड पर फर्टलाइजर का छिड़काव सप्ताह में एक से दो बार किया जाना आवश्यक है।
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नारियल के खोल में ऑर्किड का पौधा कैसे लगाएं - How to plant Orchids in coconut husk
आमतौर पर आर्किड के पौधे को नारियल खोल के साथ गमले में लगाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उसकी जड़ो को नमी मिलती रहें। वास्तव में, ये वही नारियल का बाहरी खोल (Coconut Fibre) होते है, जिसमें रेशा रेशा होता है और जिसको नारियल निकालने के बाद बेकार समझकर फेंक देते है। नारियल के इन खोलो के टुकड़े तड़के करके या बिना टुकड़े किये सीधे ही उसे गमले में रखा जा सकता है जिसके साथ ऑर्किड को लगा देना होता है। इसके साथ ही नारियल के बाहर से गुदा को हटाने समय जो टुकड़ा (Chips) निकलता है, उसे भी टुकड़े टुकड़े करके इसमें मिलाया जा सकता है।
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लकड़ी के कोयले में आर्केड का पौधा कैसे लगाएं - How to plant Orchids in charcoal
अब यदि नारियल के खोल उपलब्ध नहीं है तो उस परिस्थिति में लकड़ी के कोयले का भी प्रयोग किया जा सकता है। उस परिस्थिति में लकड़ी के कोयले (Charcoal) के समूहों को गमले में डाला जा सकता है।
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गमले में नारियल के खोल, नारियल के बाहरी आवरण और लकड़ी के कोयले - तीनो को एक साथ भी डाला जा सकता है
गमले में नारियल के खोल, नारियल के बाहरी आवरण और लकड़ी के कोयले - तीनो के टुकड़ो को मिलाकर भी डाला जा सकता है। यह मीडियम आर्किड में नमी / आद्रता (humidity) बनाये रखने में सहायता करता है क्योंकि इसे नमी / आद्रता (humidity) अधिक पसंद है और जैसा मैंने पहले ही कहा है कि आर्किड के पौधों मिट्टी में नहीं लगाए जाते है। हालांकि ये भी सच्चाई है कि आर्किड की कई प्रजातियां सामान्य पौधों की भांति मिट्टी में उगते है और वे मिट्टी से पोषक तत्व ग्रहण करते है। मगर वे प्रजातियां सामान्यतः घर के वातावरण में कम ही उगते है। इसलिए यहाँ हम आर्किड की जिन प्रजातियों की बात कर रहे है वे मिट्टी में नहीं लगाए जाते है।
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आर्किड के पौधे को गमले में लगाकर अब उसका नियमित देखभाल किया जाता है
इस प्रकार, अब आर्किड के पौधों का आधार (सेट-अप) तैयार हो जाता है। अब जब प्लांटिंग हो चुकी है तो अब इसमें नियमित उर्वरक (Fertiliser) देने की आवश्यकता होती है। जिससे इसे पोषक तत्व की आपूर्ति होती रहें। खाद (Nutrition) के तौर पर इसमें पानी में घुलशील होने वाला (Water Soluble) उर्वरक ही दिया जाता है। इसके बाद एक लीटर पानी में दो ग्राम एन पी के (उर्वरक) को मिलाकर इन पौधों के ऊपर छिड़काव (Spray) करते है। ध्यान रहें, इसमें पौधों के पत्तो पर छिड़काव (Folier Spray) करते है और इसी से इसे महत्पूर्ण पोषक तत्व मिलता है। अन्य तत्व यह हवा से प्राप्त कर लेता है। आतमौर पर पौधों के पत्तो पर यह स्प्रे सप्ताह में दो बार किया जाता है।
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आर्किड के पौधे में होने वाले सामान्य रोग व उनके उपाय
बारिश के समय में या अधिक नमी (Humidity) के कारण इसमें स्मेल और डंठल का सड़ना जैसी समस्याएं आती है। ऐसी स्थिति में उसे मुख्य पौधे से अलग कर दिया जाता है। इससे पौधे के स्वस्थ्य भाग पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावे भी इसमें कई बार झुलसा रोग (Bacterial Blight), फूलो का सड़ना (Flower Rotting) जैसी भी समस्याएं आती है। इसके लिए इसमें स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (Streptocycline) की एक लीटर पानी में एक ग्राम के साथ इसपर छिड़काव करना चाहिए। वास्तव में, स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (Streptocycline) एक जीवाणुरोधी एंटीबायोटिक (Antibacterial Antibiotic) साल्ट है, जो पेड़ पौधों के जीवाणुजनित रोगो को दूर करने में काम आता है। मार्केट में इस साल्ट (Streptocycline) के साथ कई कंपनियां उपलब्ध है।
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आर्किड के पौधे पर पुष्प कब आने लगता है
पौधे लगाने के बाद से तीन से छः माह में फूल आना शुरू हो जाता है। फूल डंढ़ल में लगते है। एक डंठल में कई फूल होते है। एक पौधे में प्रति बर्ष आठ से दस फूलो के डंठल (Stipe) उगते है। लेकिन यहाँ पर सबसे बड़ी बात यह है कि फूलों के डंठल की मात्रा वातावरण और पेड़ की देखभाल के ऊपर निर्भर करता है। आमतौर पर घर के साधारण वातावरण में आर्किड पर फूलो से भरे डंठल की मात्रा थोड़ी कम होती है।
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आर्किड के एक डंठल पर कितने फूल खिलते है
'अब अगर बात करें कि आर्किड के एक डंठल में कितने फूल खिलते है !' तो बता दें कि यह बात आर्किड की प्रजाति पर निर्भर करती है। अलग - अलग प्रजाति के आर्किड के डंठल पर उगने वाले फूलो की संख्या भी अलग अलग होती है। सोनिया - 17 और सिंगापूर व्हाइट, आर्किड के दो अलग अलग अच्छे व उन्नत प्रजाति है। लेकिन इन दोनों प्रजातियों के एक डंठल पर उगने वाले फूलो की संख्या अलग अलग होती है। जहाँ सोनिया - 17 पर फूलो की संख्या दस से लेकर तरह तक होती है तो वही सिंगापूर व्हाइट पर फूलो की संख्या सोलह से लेकर अठारह तक होती है।
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घर में आर्किड कहाँ पर लगाना सही रहता है
आर्किड के पेड़ को घर के अंदर खिड़कियों और बड़े वाले परदे के समीप भी लगाया जा सकता है। इससे एक लाभ यह भी है पौधे पर पड़ने वाले धुप की सीधी किरणों से बचाव हो जाता है और वो परदे से होते हुए छनकर उस पर पड़ती है।
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आर्किड फूल का उपयोग
आर्किड का पुष्प (Orchid Ka Pushp) अपनी सुगंध के लिए जाना जाता है। आर्किड के इसी गुण के कारण इसका प्रयोग इत्र बनाने (Perfume Production) में किया जाता है। साथ ही कुछ अलग किस्म के आर्किड से वैनिला भी तैयार किया जाता है। वैनिला एक प्रकार का सुगन्धित (Fragrant) पदार्थ होता है, जो वेनिला प्लैनिफोलिया (Vanilla Orchid) की फली से निकाला जाता है। यह आर्किड की ही एक प्रजाति है। आर्किड की इस प्रजाति (Vanilla Orchid Plant) से निकाले गए वैनिला का प्रयोग मिठाइयां व आइस क्रीम सहित अन्य कई खाद्य पदार्थो को स्वादिष्ट एवं मनभावन बनाने में होता है। इस तरह आर्किड सौंदर्य का प्रतिक होने के साथ साथ अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओ के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में भी प्रयोग किये जाते है। इस तरह आर्किड का उपयोग हर्बल दवाओं (Herbal Medicine), वैनिला (Vanilla), इत्र (Perfume) एवं त्वचा क्रीम (Skin Cream) के उत्पादन में होता है। इससे बने प्रोडक्ट्स बहुत महंगे होते है। इन प्रोडक्ट्स की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बहुत मांग है।
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आर्किड हवा को भी शुद्ध रखने में सहायक है
आर्किड के पौधे घर व कमरें की न केवल सुंदरता को बढ़ाते है बल्कि वहां के वातावरण को भी शुद्ध करने में काम आता है। आर्किड के पौधे हवा को स्वच्छ बनाने (Air Cleaning Plants) का काम करता है। यह अपने आस पास के वातावरण को सांस लेने योग्य उपयुक्त हवा (Air Purifying Plants) में बदल देता है और इससे वहां का वायुमंडल शुद्ध हो जाता है।
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आर्किड की दुर्लभ प्रजातियां कही जाने वाली सीता पुष्प और द्रोपदी पुष्प (Sita Pushpa and Draupadi Pushpa) को टेस्ट ट्यूब से तैयार किया गया
वैज्ञानिको के द्वारा आर्किड की कई दुर्लभ प्रजातियों को विकसित किया गया। इनमें दो दुर्लभ प्रजातियां सीता पुष्प (Sita Pushpa) और द्रोपदी पुष्प (Draupadi Pushpa) को भी टेस्ट ट्यूब से तैयार किया गया। आर्किड की इन दो प्रजातियों का संबंध माता सीता (Mata Sita) और द्रोपदी (Draupadi) से है।
कहा जाता है कि माता सीता आर्किड के फूल को अपने बालों में लगाया करती थी। द्रोपदी भी अपने श्रृंगार के लिए आर्किड के फूलो को उपयोग में लाया करती थी। इसी कारण आर्किड की ये दो प्रजातियां माता सीता और द्रोपदी के नाम से जानी जाती है। इसके साथ ही आर्किड की इन प्रजातियों की गिनती अति दुर्लभ प्रजातियों में होती है।
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भारत प्रति बर्ष बड़ी संख्या में आर्किड का आयात करता है
आर्किड के फूलो से भरे इन्ही डंठल की मांग है और इसी को बेचकर पैसा कमाया जाता है। आर्किड के फूलो की मांग केवल राष्ट्रीय ही नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी बहुत मांग है। भारत में हर बर्ष थाईलैंड सहित अन्य कई देशो से आर्किड के फूलों का बड़ी संख्या में आयात किया जाता रहा है। बता दें, थाईलैंड को आर्किड का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है। इतना ही नहीं थाईलैंड विश्व में आर्किड का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। थाईलैंड को प्रत्येक बर्ष आर्किड के निर्यात से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होता है।
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आर्किड के विकास एवं उसके व्यापार से देश की अर्थव्यवस्था बहुत बल मिल सकता है
भारत में हर बर्ष थाईलैंड सहित अन्य कई देशो से आर्किड के फूलों का बड़ी संख्या में आयात किया जाता रहा है। आर्किड के सुगन्धित पुष्पों से हजारो सौंदर्य प्रसाधन तैयार किये जाते है और ये सभी बाजार में बहुत महंगे मूल्यों पर उपलब्ध है। इतना ही नहीं समय के साथ इनकी मांगो में लगातार वृद्धि होती जा रही है। इसलिए भारत में आर्किड के विकास की बहुत आवश्यकता है। इससे न केवल देश की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है बल्कि विदेशो पर से निर्भरता को भी कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं इनका विकास करके इन्हे निर्यात भी किया जा सकता है। जिससे देश को अरबो डॉलर की कमाई हो सकती है। बता दें, पश्चिमी देशो की अर्थव्यवस्था में यह पुष्प आय का एक महत्पूर्ण साधन के रूप में उभरा है, जबकि इसके विपरीत भारत में इससे आय होना दो दूर की बात है, इसके आयात पर ही प्रत्येक वर्ष एक बड़ी राशि व्यय हो रही है।
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अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाजारों (International Flower Market) में आर्किड की उच्च गुणवत्ता वाली प्रति डंडी का मूल्य 130 रूपये से लेकर 1500 रूपये तक निर्धारित है। घरेलु बाजारों (Domestic Market) में आर्किड के फूलो वाले एक डंठल (stipe) का थोक मूल्य पंद्रह से पच्चीस रूपये तक निर्धारित है। इसके महत्व का अनुमान केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाजारो में आर्किड की गिनती दस शीर्ष पुष्पों में होती है। आर्किड कई देशो के राष्ट्रीय आय का प्रमुख साधन भी है।
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ऐसे करें आर्किड के फूल की फार्मिंग
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इसी बात को देखते हुए अब भारत में भी इसके विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। हाल के बर्षो में देश के कई शहरों में ऑर्किड व्यावसायिक फार्म की स्थापना की गई है। इससे देश को अन्तर्राष्ट्रीय पुष्प बाजारों में अपनी पहचान बनाने में सहायता मिली है। इसका परिणाम यह हुआ कि जहाँ कुछ बर्षो पहले तक विश्व पुष्प बाजारों में भारत की हिस्सेदारी लगभग न के बराबर थी वही अब उसमे तीव्र गति से वृद्धि होती जा रही है।
Yellow Orchid Flower
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लेखन :
(राजीव सिन्हा दिल्ली के जाने माने लेखक है)