शिव खोड़ी गुफा, कटरा
शिव खोड़ी गुफा भगवान शिव का एक दुर्लभ निवास स्थान है। इस गुफा का निर्माण भगवान शिव ने स्वयं अपने त्रिशूल की नोक से की थी। ऐसा उन्होंने भस्मासुर से बचने के लिए किया था। वरदान के बाद भस्मासुर स्वयं शिव को भस्म करना चाहता था और उस स्थिति में भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती दोनों पुत्र गणेश और कार्तिक के साथ यहाँ छिप कर रहे थे। बाद में भगवान शिव को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और उस दैत्य का अंत किया।
जैसे वैष्णो देवी त्रिकूट पर्वत पर स्थित है वैसे ही यह गुफा शिवालिक पर्वत की शृंखलाओं में स्थित है। यह प्राकृत है और अति प्राचीन है। इस गुफा में स्थित शिवलिंग कोई मानव निर्मित नहीं है बल्कि यह प्रकृति निर्मित शिवलिंग है। यहाँ शिवलिंग के अलावे अन्य दुर्लभ प्रतिमा भी विराजमान है। आज इस गुफा की गिनती सनातन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों (Tirth Sthal) में होती है।
यहाँ कैसे जाएँ?
शिव खोड़ी (Shiv Khodi) जम्मू से लगभग 140 किमी जबकि कटरा से 85 किमी है। यह तीर्थस्थल उधमपुर जिले में पड़ता है। यहाँ जाने के लिए कटरा (Katra) जाना पड़ता है। यही से माता वैष्णो देवी और शिव खोड़ी के लिए यात्रा प्रारंभ होती है। कटरा से शिव खोड़ी (Shiv Khori Gufa) जाने वाले मार्ग में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों वाला मंदिर भी है। यहाँ माँ नवदुर्गा पिंडी रूपी गुफा में में विराजमान है। यहां पर नवदुर्गा नौ पिंडियों के रूप में नौ देवियां विराजमान है।
शिवम द्वार से शिव खोड़ी की यात्रा आरम्भ होती है
शिव खोड़ी के प्रवेश द्वार को शिवम द्वार (Shivam Dwar) के नाम से जाना जाता है। शिवम् द्वार से ही शिव खोड़ी का मार्ग आगे जाता है। यही से शिव खोड़ी की यात्रा प्रारंभ होती है। आगे जाने पर गणेश मुख पर्वत आता है। यह यात्रा का मध्य दुरी है। यहाँ का दृश्य बड़ा मनोरम है। अब शिव खोड़ी गुफा आ जाता है। गुफा के अंदर प्रवेश करने पर वहां स्थित शिवलिंग का दर्शन होता है।
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लेखन :
राजीव सिन्हा