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हिंदी में स्त्रीलिंग शब्द की पहचान ऐसे करें-
जिस शब्द (अप्राणिवाचक संज्ञा) के अंत में निम्न प्रत्यय हो तो वे प्रायः (हमेशा नहीं) स्त्रीलिंग होते है-
| ई - कहानी |
| इ - रूचि |
| ता - सुंदरता |
| त - मुलाकात |
| ति - प्रगति |
| ती - दोस्ती |
| अत - असलियत |
| वत - कहावत |
| ट - लाइट |
| री - टोकरी |
| ली - ओखली |
| नी - शैतानी |
| नि - हानि |
| आई - अच्छाई |
| इया - खटिया |
| इमा - लालिमा |
| वानी - बागवानी |
| आस - मिठास |
| आवट - सजावट |
| ख - राख |
| ना - प्रार्थना |
| श - तलाश |
| क्ति - विरक्ति |
| आ (आकारांत) - शोभा |
| आन - संतान |
हिंदी में जेंडर - Hindi Mein Gender
अर्थात जिन शब्दों के अंत में-
"ई, इ, ता, त, ति, ती, अत, वत, ट, री, ली, नी, नि, आई, इया, इमा, वानी, आस, आवट, ख, ना, श, ति, आ, आन"
आदि प्रत्यय लगा हो वे प्रायः स्त्रीलिंग होते है। जैसे-
1. ई=> क्यारी, कौवाली, कौरी, कौमारी, कोबी, गगरी, गठरी, गोली, झोली, नाली , प्याली, गरीबी, अमीरी, सखी, अनुयायी, अंतरवाणी, अटपटी, अटैची, अदायगी, अलमारी, आँधी, आजादी, आमदनी, कसौटी, कहानी, अंग्रेजी, अंगुली, अँगूठी, अँधियारी, अँधियाली, अहरी, अष्टमी, नवमी, दशमी, बिमारी, चालाकी, तैयारी
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2. ई=> (ईकारांत भाववाचक संज्ञाएँ)- गर्मी, गरमी, गरीबी, सर्दी, सरदी, बीमारी, चालाकी, तैयारी, तबाही
3. इ=> (इकारांत)- निधि, विधि, परिधि, राशि, अग्नि, छवि, रूचि
4. ता=> मानवता, दुष्टता, विवाहिता, अराजकता, अकर्मण्यता, अस्मिता, चिता, अक्षमता, अज्ञानता, अधिकता, असफलता, असभ्यता, असमता, अपूर्तता, आत्मीयता, व्याकुलता, आतुरता, आनुवंशिकता, उत्सुकता, उदारता, उदासीनता
5. ती=> दोस्ती, बदकिस्मती, अगरबत्ती, आरती
6. ति=> उन्नति, अनुश्रुति, अनुरक्ति, अनुभूति, अनुस्मृति, अवनति, असहमति, आकृति, मनस्थिति , अनीति, अनुमति, अपकीर्ति, अशांति, असम्मति, असंगति, असहमति, अस्वीकृति, आपत्ति, उत्पत्ति
7. अत/यत/वत=> रंगत, राहत, चाहत, बगावत, अदालत, मनहूसियत, कहावत , अमानत, असलियत, इमारत, तबियत
8. ट=> लाइट, लूट, डांट, खाट
9. री=> छतरी, पटरी, गठरी, कटोरी, कोठरी, अलमारी
10. ली=> तितली, टिकली, मूंगफली, अठखेली, इमली, ऊँगली
11. नी=> शैतानी, हैरानी, मनमानी, चटनी, चलनी, अर्द्धागिनी, अगवानी, आसानी, असावधानी, अलगनी, आसनी,
12. आई=> मलाई, बुराई, रुलाई, हंसाई, मंहगाई, अगुआई, अच्छाई, कठिनाई, अगुवाई, अंगराई
13. इया=> खटिया, डलिया, डिबिया, टिकिया
14. ईमा=> लालिमा
15. वाणी/वानी/आनी=> बागवानी
16. आस=> खटास, मिठास, व्यास, साँस
17. आवट=> (वट)- लिखावट, मिलावट, गिरावट, थकावट, सजावट
18. आहट=> (हट)- चिल्लाहट, चिकनाहट, बुलाहट, घबराहट, आहट, अकुलाहट,
19. ख=> (अंत में रहने पर)- ईख, भूख, राख, चीख, कोख, देख, देखरेख
20. आ=> (आकारांत शब्द)- दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा, सभा, हवा, दवा, सजा, जमा, दुनिया
21. ना=> (नाकारांत शब्द)- प्रार्थना, वेदना, प्रस्तावना, रचना, घटना
22. श=> (शाकारांत संज्ञाएँ)- तलाश, बारिश, लाश, मालिश, कोशिश
23. त=> (तकारांत संज्ञाएँ)- दौलत, कसरत, अदालत, कीमत, मुलाकात
24. क्ति=> विरक्ति, आसक्ति, अनुरक्ति, नियुक्ति, मुक्ति, शक्ति
25. नि=> हानि, ग्लानि, योनि
सूत्र द्वारा स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान-
(केवल अप्राणिवाचक संज्ञाओं के लिए)
जब किसी अप्राणिवाचक संज्ञाओ के बहुवचन बनाने के क्रम में निम्नलिखित बदलाव करना पड़े, तब वे संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होते हैं=>
1.
| एक वचन | बहुवचन |
|---|---|
| अ | ए/एँ |
| आ | आएँ |
| इ/ई | इयाँ/या/याँ |
| जैसे- | बात- | बातें |
| माला - | मालाएँ | |
| तिथि - | तिथियाँ | |
| गाड़ी - | गाड़ियाँ | |
| चुड़िया - | चुड़िया |
ऐसी स्त्रीलिंग संज्ञाएँ है- मेज, सेज, खाल, मूँछ, पूँछ, फसल, जान, खान, आफत, आदत, बंदूक, संदूक, घटना, सूचना, इच्छा, शिक्षण, हवा, लता, कविता, साड़ी, नारी, लड़ाई, कचौड़ी, कठिनाई, रीति, नीति, डिबिया, गुड़िया आदि।
2. आ - आ
कुछ भाववाचक संज्ञाओ के आ का आ ही रह जाता है। उनका प्रायः बहुवचन नहीं होता है। ऐसी संज्ञाएं भी स्त्रीलिंग होती है।
जैसे- आशा, निराशा, करुणा, कल्पना, याचना, घृणा, मित्रता, शत्रुता, एकता, अनेकता, दया, माया, छाया, लालिमा
हिंदी में पुल्लिंग शब्द की पहचान ऐसे करें-
जिस शब्द (अप्राणिवाचक संज्ञा) के अंत में निम्न प्रत्यय हो तो वे प्रायः (हमेशा नहीं) पुल्लिंग होते है-
| आ - जोड़ा |
| पा - बुढ़ापा |
| ना - दिखाना |
| पन - अपनापन |
| र - प्रकार |
| ख - दुख |
| त्व - महत्व |
| र्य - शौर्य/धैर्य |
| त्र - चित्र |
| आवा - पहनावा |
| आव - बदलाव |
| करण - औद्योगीकरण |
| रन - विवरण |
अर्थात जिन शब्दों के अंत में-
"आ, पा, ना, पन, र, ख, त्व, र्य, त्र, आवा, आव, करण, रन"
आदि प्रत्यय लगा हो वे प्रायः पुल्लिंग होते है।
लेखन :
(राजीव सिन्हा दिल्ली के जाने माने लेखक है)
